कर्नाटक की राजनीति गलियारों में हमेशा से तनातनी रही है, लेकिन इस बार जो हलचल मची है, वह सीधे तौर पर सत्ता के शीर्ष पर खड़े दो प्रमुख नेताओं के बीच का संकेत देती हैं। यह विवाद महज एक विभागीय हस्तक्षेप तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे सत्ता, पावर और नेतृत्व की राजनीतिक छिपी हुई है।
यहां तक कि Dk Shivkumar ने कई बार पार्टी के भीतर एकता और सहयोग का आह्वान किया है। कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जमकर बयानबाजी भी सामने आ रही है। कांग्रेस विधायक की मांग के बाद अब डीके शिवकुमार के भाई और पूर्व सांसद डी.के सुरेश ने भी Dk Shivkumar को मुख्यमंत्री बनाए जाने की इच्छा जाहिर की हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया है यह पद अभी खाली नहीं है और यह फैसला पार्टी आलाकमान करेंगे लेकिन मैं चाहता हु मेरे बारे भाई उप मुख्यमंत्री Dk Shivkumar कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने।
Dk Shivkumar विवाद: कहा से शुरू हुआ यह टकराव?
यह विवाद तब सामने आया जब कर्नाटक सरकार ने मई 2025 को जल संसाधन विभाग के पांच वरिष्ठ इंजीनियरो का तबादला कर दिया। ये तबादले बिना उप मुख्यमंत्री की मंजूरी के किए गए, जो इस विभाग के प्रभारी मंत्री भी हैं। उन्होंने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सीधे मुख्य सचिव को पत्र लिखा और पूछा कि उनकी जानकारी और अनुमति के बिना ऐसे निर्णय कैसे लिए जा सकते हैं।डीके शिवकुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह विभागीय अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है और मुख्यमंत्री कार्यालय का अनावश्यक हस्तक्षेप दर्शाता हैं।
मैं पूरे पांच साल रहूंगा मुख्यमंत्री – सिद्धारमैया
कर्नाटक में जारी उथल पुथल फिलहाल थमती नज़र आ रही हैं। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सुलह कराने में सफल रहे। कांग्रेस महासचिव ने मीडिया से कहा कि सिद्धारमैया ही सीएम बने रहेंगे। इससे पता चलता है कि शिवकुमार ने सीएम पद पर अपना दावेदारी छोड़ दिए हैं।
सुरजेवाला ने विधायकों को दी सलाह – पार्टी फोरम पर ही रखें अपने हर बात
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा ” कई विधायकों की ओर से लीडरशिप बदलने की मांग की गई है। इस पर रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मैं अपने विधायकों को सलाह देता है कि उन्हें किसी भी तरह की कोई भी दिक्कत हो तो वो अपनी बात मीडिया के बजाय पार्टी फोरम पर रखें।
विधायकों से चर्चा को लेकर लग रहे कयास पर सुरजेवाल ने सफाई दी और कहा, ऐसा कुछ भी नहीं है, जो चर्चाएं हो रही हैं। महासचिव ने कहा मैं सभी विधायकों से व्यक्तिगत मिल रहा हूं। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मैं कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी के नाते हम देख रहे हमारा संगठन राज्य में कैसा काम कर रहा है।
सुरजेवाला ने कहा कि हमरा यह मीटिंग इसलिए थी कि कांग्रेस के अलग अलग मोर्चे किस तरह से काम कर रहे हैं। डीके शिवकुमार को बगल में बैठाकर महासचिव सुरजेवाला ने बात कहा कि हमने सभी विधायकों से वर्क रिपोर्टें मंगाई है कि आखिर उन्होंने अपने क्षेत्र में कौन कौन से काम किए है। हमारी पार्टी के तरफ़ से मैनिफेस्टो में जो वादे किए थे, उस पर काम किया गया है कि नहीं। आप हमसे पूछ रहे है कि क्या कर्नाटक में नेतृत्व बदल रहा है, तो इस पर मेरी एक ही जवाब है कि नहीं।
Dk Shivkumar विवाद का संभावित असर
मीडिया के अनुसार, सीएम बनने के लिए डीके शिवकुमार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए कहा गया । लेकिन डीके शिवकुमार ऐसा नहीं चाहते क्योंकि उन्हें डर है कि अगर उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ा तो सिद्धारमैया अपने करीबी को अध्यक्ष बना देगा जिससे शिवकुमार की पार्टी से पकड़ कमजोर हो सकती हैं।
सिद्धारमैया की कुर्सी बचने का एक और वज़ह हो सकती है। डीके शिवकुमार के खिलाफ मानी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच चल रही हैं और वे साल 2019 में जेल भी जा चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस डीके शिवकुमार को सीएम बनाकर भ्रष्टाचार के मामले पर फंसना नहीं चाहती हैं।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सामने मेरा कोई सवाल ही नहीं उठता- डीके शिवकुमार
उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सारी बयानबाजी को खारिज़ करते हुए कहा ” मैने किसी को मेरे पक्ष में बोलने को नहीं कहा। जब पहले से मुख्यमंत्री उपलब्ध है, तो ऐसी बातों का कोई सवाल ही नहीं उठता।”
डीके शिवकुमार ने साफ किया कि पार्टी हाइकमान जो भी फैसला लेगा, वह उसे पूरी निष्ठा से पालन करेंगे। डीके शिवकुमार ने विधायकों में किसी भी तरह की नाराजगी से इनकार किया और कहा वह सिर्फ ज़िम्मेदारी तय कर रहे हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी पत्रकारों से कहा कि ” मै ही मुख्यमंत्री बना रहूंगा। आपको कोई शक है क्या ? उन्होंने बीजेपी और जेडी(एस) पर अपवाह फैलाने का आरोप लगाया और कहा, ” क्या वे कांग्रेस के हाइकमान हैं?
नेतृत्व को लेकर उठते रहते है सवाल
मई 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जीत के बाद डीके शिवकुमार के समर्थकों को उम्मीद थी कि उन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन 135 विधायकों का बहुमत समर्थन प्राप्त करके सिद्धारमैया सीएम बने और डीके शिवकुमार को उप मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई।
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